छत्‍तीसगढ़ी नाटक : संदेसिया

दिरिस्य -1
सू़त्रधारः-
बड़खा हवेली आप नाममात्र बर बढ़खा हवेली हावय, जिहॉं रात दिन कमिया कमेलिन मन अउ रेजा कुली मन के भीड़ लगे रहय, उहॉं आज हवेली के बड़की बोहोरिया आपन हाथ ले सूपा मा अनाज पछनत हावय, इ हाथमन मा मेंहदी लगाके गॉंव के नउवाइन परिवार पलत रिहिस।काहॉं चल दिस वो दिन हर, बड़खा भइया के मरे के पाछू सबो खेल खतम हो गिस। तीनों भाई मन लड़ाई झगरा शुरू कर दिन, रेयती ह जमीन मा दावा करके दखल कर दिस, फेर तीनों भाईमन गॉंव छांड़के सहर मा जा बसिन। रह गिस हवेली मा बड़की बोहोरिया। बिचारी काहॉं जाथिस। भगवान बड़खा मनखे ला दुःख देथे। नीही ता एक घंटा के बीमारी मा बड़खा भइया काबर मरथिस? बड़की बोहोरिया के देहे के गहना खींच छीन के बंटवारा के लीला होय रिहिस। हरगोबिन हर देखे हावय, दुरपती चीरहरन लीला। बनारसी साड़ी के तीन टुकड़ा करके बंटवारा करे रिहिन, निरदई भाईमन, बेचारी बड़की बोहरिया।
सूत्रधार जाथे।

दिरिस्यः-2
ठौर:- बड़खा हवेली
हरगोबिनः- बड़बड़ात जात हावय। ता आज घलो कोन्हों ला संदेसिया के जरूरत पर सकत हावय, जबकि इ जमाना मा गॉंव गॉंव डाकघर खुल गिस हावय, संदेसिया करा संदेस काबर भेजही कोन्हो, आज तो आदमी घर बइठेच लंका तक संदेस भेज सकत हावय अउ उहॉं ले संदेस मंगवा सकत हावय । फेर ओला काबर बुलाय गिस हावय।
हरगोबिन टुटहा फइरका पार करके भीतर गिस, हमेसा के तरह सूंघ के जान डारिस? निस्चित ही कोन्हां गुपुत संदेस ले जाना होही, चंदा सूरूज ला घलो गम पता नीए, परेवा चिरई घलो नी जाने।
हरगोबिन:- पांय परत हावंव बड़की बोहोरिया।
बड़की बोहोरिया बइठे बर पीढ़ा देथे, आंखि के इसारा ले कलेचुप बइठे बर कइथे, बड़की बोहरिया सूपा ले अनाज ला पछनत हावय।
मोदिआइनः- उधारी खाय मा बड़ मीठाथे, छूटे मा दुःख लागथे, आज मैंहर दाम लेके जाहां।
बड़की बोहोरियाः- चुपे रइथे।
हरगोबिन:- मोदिआइन काकी, तकादा के काबूली कायदा खूबेच सीखे हावा।
मोदिआइन:- चुपे रह मुंहझौंसे, निमोछिये।
हरगोबिनः- का करों काकी! भगवान हर मूंछ दाढ़ी नी दीस हावय, काबुली आगा के सही जोरदार दाढ़ी।
मोदिआइन:- फेर काबूल के नांव लेबे ता जीभ ला तीर लिंहां।
हरगोबिन जीभ निकालथे अउ मोदिआइन गारी देत भाग जाथे।



दिरिस्य:-3
सूत्रधार:- पांच साल पहिली गुल मुहम्मद आगा उधार कपड़ा गॉंव मा देवय, मोदिआइन के आंठ मा बइठे, आगा कपड़ा देतसमे बड़ मीठ बोलय, तकादा करय बर जोर जुलुम करय? एक घ उधार लेवइया मन काबुली के इसने मरम्मत कर दिन, फेर लहुंट के गॉंव नी आइस।एकर पाछू दुखनी मोदिआइन लाल मोदिआइन हो गिस, काबुली का , काबुली बादाम ले चिढ़े बर लगिस, गॉंव के नचोइया मन नाच मा काबुली के संवाग करीन, तैंहर अमारा मुलुक जाबे मोदिआइन, अम काबुली बादाम पिस्ता अखरोट खंवाहां।

दिरिस्य:- 4
बड़की बोहोरियाः- हरगोबिन भाई , आजेच तोला एकठन संदेस ले जाय बर हावय, बोल जाबे ना।
हरगोबिन:- काहॉं?
बड़की बोहरिया:- डबडबाय कइथे मोर दाई करा।
हरगोबिन:- कहा, का संदेस हावय?
बड़की बोहोरिया रोथे
हरगोबिनः- बड़की बोहोरिया दिल ला कड़ा करा।
बड़की बोहोरियाः- अउ कतका करों कड़ा दिल ला? दाई ला कहिबे, मैंहर भई भउजी के नौकरी करके पेट ला पाल लिहां, लइकामन के जूठा खाके एकठन कोन्टा मा परे रिहां।हरगोबिन भाई दाई ले कइबे भगवान हर आंखि फिरा लीस, फेर मोर मां तो हावय। कहिबे मोर दाई नी ले जाही ता कोन्हों दिन ढेंटूं मा गघरी बांध के तरिया मा बूड़ मरिहां।बथुआ साग खाके कब तक जीओं, काबर जीओं, काकर बर जीओं, काकर भरोसा इहें जीओं, एकठन कमिया रीहीस अउहर काल भाग गीस। गाय खूंटा मा बंधाय बंधाय नरियात हावय, मैंहर काकर बर अतका दुःख झेलों।
हरगोबिनः- देवर देरानी घलो कतका बेदरद हावंय, ठीक अगहनी धान के समे लोग लइकामला लेके आथे अस पंदरा दिन मा करजा उधार के ढेरी लगाके , वापस जाय समे दू दू मन के हिसाब ले चउर चिंवरा ले जाहीं, फेर आमा के मौसम मा आहीं? कच्चा आमा टोड़ के बोरी मा भर के ले जाहीं। फेर ओमन कभू नी आंय। राक्छस हावय सबो। करजा उधार अब कोन्हों नी देंय, एकठन पेट ता कुकुर घलोक हर पालथे, फेर मैंहर——। दाई ला कहिबे।
बड़की बोहोरिया अंचरा ले एकठन गंदा पांच रूपया के लोट हेर के किहिस।
बड़की बोहोरियाः- पूरा राह खरचा नी पांय, आय बर खरचा दाई ले मांग लेबे।
उम्मीद हावय भइया तोर संग मा आही।
हरगोबिन:- बड़की बोहोरिया राह खरचा दे के जरूरत नीए। मैंहर इंतजाम कर लिहां।
बड़की बोहोरियाः- तैंहर कहां ले इंतजाम करबे?
हरगोबिनः- आज दस बजे के गाड़ी मा जात हावों।
बड़की बोहोरिया हाथ मा लोट ला धरे हावय , सून्ना कोति देखत हावय,
बड़की बोहोरियाः- मैंहर तोर रस्दा देखत रिहां।

दिरिस्य:-5
सूत्रधारः- संदेसिया माने जेहर संदेस पहुंचाय जाय, संदेस देये के काम ला सब कोनहो नी कर सकय, मनखे भगवान के घर ले संदेसिया बनके आथे, संदेसिया ला सबो सबद ला सूरता राखे बर लागथे, जे सूर अउ बोली मा सुनाय गिस हावय, ठीकेच उसनेच सुनाना कोनहो आसान काम नी होइस, गॉंव के लोगन मन के गलत धारना हावय निठल्ला, कामचोर पेटू मनखे हर संदेसिया के काम करथे, जेकर आघू नाथ नीही अउ पीछू पगहा नी रहय, बिन मजूर लेये गॉंव गॉंव संदेस पहंचाय, अउ ओला का कीहीं। मई लोगन के गुलाम, थेरकन मीठ गोठ सुनके नसा मा आ जाय, इसने मरद ला भला का कीहीं। फेर गॉंव भर मा इसने कोन घर हावय जिहॉं के दई बहिनी के संदेस ला हरगोबिन हर नी पहुंचाइस होही, फेर आज इसने संदेस पहिली बार ले जात हावय।
सूत्रधार जाथे।



दिरिस्यः-6
रेलगाड़ी मा चढ़के हरगोबिन जात हावय, गाड़ी ता गीद बाजत हावय,
पांव परत हावौं धीरज धरों।
हमरे संदेस ला ले जाबे रे संदेसिया।।
हरगोबिन:- यात्री मेर बिंहपुर मा डाकगाड़ी रूकथे कि फर नी रूकय।
यात्रीः- कड़कके कइथे उहॉं जमो गाड़ी रूकथे।
कटिहार मा हरगोबिन उतर जाथे। टेसन मा अलाउन्स होवत हावय,बिंहपुर ,खगड़िया अउ बरौनी जवइया मन पिलेटफारम तीन मा चल दें, गाड़ी आ गे हावय, हरगोबिन गाड़ी मा चघते फेर बिंहपुर टेसन मा उतर जाथे।
हरगोबिन:- मनेमन सोचत हावय इ डगर मा बड़की बोहोरिया आपन मइके लहुंट जाही। गॉंव ला छांड़ के आ जाही, ता फेर गॉंव के का रह जाही, गॉंव के लछमी गॉंव छांड़ के आ जाही, कोन मुंहू मा इसने संदेस सुनाहा, कइसे किहां बड़की बोहरिया भोथवा साग खाके गुजारा करत हावय।सुनोइयामन हरगोबिन के गॉंव के नांव सुनके थूकही।किसने गॉंव हावय जिहॉं लछमी जिसने बोहोरिया दुःख भोगत हावय।
मनखे1 :– जलालगढ़ के संदेसिया आय हावय, न जाने का संदेस लेके आय हावय।
मनखे2 :- राम राम भाई, कहा कुसल समाचार हावयकि नीही।
हरगोबिनः- राम राम भइया जी, भगवान के दया ले सबो आनंद हावन।
मनखे 1:- ओती पानी वानी गिरत हावय कि नीही,
हरगोबिन:- हां, खूबेच पानी गिरत हावय।
रामकिसन:- दीदी किसने हावय?
हरगोबिन:- भगवान के दया ले सबो राजी खुसी हावय।
रामकिसनः- आवा घर कोति बइठबो।
हरगोबिन:- रामकिसन कि दाई ला देख के कइथे पांय परत हौं दाई
पांय ला छूथे
दाई:- जुग जुग जीयत रह बेटा। बेटा कुछु संदेस हावय।
हरगोबिनः- दाई तुंहर आसीरवाद ले सबो ठीक हावय।
दाईः- कोनहो संदेस?
हरगोबिनः- ऐं संदेस? संदेस ता कोन्हों नी हावय, मैंहर काल सिरसिष गॉंव आय रहेंव, सोंचेंव चलके आप लोगन मन के दरसन कर लेवंव।
दाई:- ता तैंहर कोन्हों संदेस लेके नी आय हावस।
हरगोबिन:- जी नीही, कोन्हों संदेस नीए,इसने बड़की बोहरिया केहे हावय यदि छुट्टी होइस ता दसहरा के दिन गंगाजी के मला मा आके दाई सो भेंट मुलाकात कर जाहां। छुट्टी कइसे मिलय। गिरहस्ती बड़की बोहरिया के उपर मा हावय।
दाई:- मैंहर तो बबुआ मेर कहत रहेंव जाके दीदी ला ले आने, इहें रीही,
उहॉं आप का रह गीस हावय। जमीन जइदाद तो सबो चल दिस। तीनों देवर सहर मा जाके बस गीन हावय, कोन्हों खोज खबर घलो नी लेवंय, मोर बेटी एकेझिन—–।
हरगोबिन:- नीही दाई , जमीन जइदाद आभी कुछु कम नीए, जे हावय, वोहर अबड़ हावय, टूटहा होगिस हावय फेर बड़खा हवेली आखर हावय ,ठगत नीओ, ए सबो बात हर ठीक हावय, बड़की बोहरिया के संसार गॉंव भर हर परिवार हावय। हामर गॉंव के लछमी हावय बड़की बोहोरिया, गॉंव के लछमी गॉंव ला छांड़के सहर कइसे जाही। देवरमन हर घ जीद करथे जाय बर।
दाईः- जलपान लाथे थोरकुन जलपान कर ला बबुआ।
हरगोबिनः- मनेमन सोचत हावय, भात दार तीन किसिम के भाजी घी पापड़ अचार, बड़की बोहोरिया भोथवा साग उबाल के खात होही।
दाई:- काबर बबुआ खात कइसे नीआ?
हरगोबिन:- दाई पेट भर जलपान कर ले हावंव।
दाईः- अरे जवान आदमी पांच घ जलपान करके एक थाली भात खात हावय।



दिरिस्य:-7
सूत्रधारः- हरगोबिन कुछु नी खाइस, खाय नी सकिस, संदेसिया डट के खाते अउ मरत ले सूतथे। फेर हरगोबिन ला नींद नी आत हावय, ये ओहर का करिस? ओहर काबर आय रिहिस, ओहर लबारी काबर मारिस, नीही नही बड़े बिहनिया उठते उठत बड़की बोहरिया के सही संदेस ला सुना दिंहा, अक्छर अक्छर दाई जी तुंहा अकलौती बेटी दुःख में है, आजेच कोन्हों ला भेजके बुला लेवा, नीही ता फेर कुछु कर डारही, आखिर काकर बर अतकी सहही, बड़की बोहोरिया हर किहिस हावय भ्उजी के लइकामन के जूठा खाके एकठन कोन्टा मा परे रिंहा। रतिहा भर हरगोबिन ला नींद नी परीस, आंखि के आघू बड़की बोहोरिया के सिसकत आंसू पोंछत चेहरा झूलत रहय, बिहनिया उठके वोहर दिल ला कड़ा करीस, वोहर संदेसिया हावय, ओकर काम हावय सही सही संदेस पहुंचाय बर, वोहर बड़की बोहोरिया के संदेस सुनाय बर दाई के तीर जाके बइठ गिस।
दाई:- का हावय बबुआ , कुछू कहत हावस?
हरगोबिन:- नीही दाई, मोला इ गाड़ी मा लहुंटना हावय, बड़ दिन होगिस।
दाईः- अरे अतका जल्दी का हावय, अउ कुछू दिन रहि जाथे।
हरगोबिन:- नीही दाई, आप आग्या देवा,दसहरा मा महूंहर बड़की बोहोरिया के संग आंहा, ता फर डटके पंदरा दिन रिंहा।
दाईः- अतका जलदी रिहिस ता फेर आय काबर, सोचे रहेंव बिटिया बरदही चिंवरा भेजिहॉं। फर आज दही तो नी होही, थोरकुन बासमती चउर के चिंवरा ले जाबे।
रामकिसनः- फेर भाई राह खरचा धरे हस की नीही

दिरिस्यः-8
सूत्रधार:- टेसन पहुंचके हरगोबिन हर हिसाब करीस, ओकर करा जतका पइसा हावय, ओतका मा कटिहार के टिकिट आही,अउ चवन्नी ह नकली निकल गिस ता, सौमपुर तक, बिना टिकिट के ओहर टेसन घलो नी जा सके, डर के मारे ओकर देहें के आधा खून घलो सुख्खा जाही। गाड़ी में बैठत ओकर अजीब हालत हो गिस, ओहर काहॉं आय रिहिस, का करके जात हावय,बड़की बोहोरिया ला का कीही?
सूरदासः- नेहरा के सुख सपन भये अब।
देस पिया की डोलिया चली ई ई ई
भाई रोओ मति , यहि करम गति।
पांच बजे बिहनिया कटिहार पहंुचिस, जलालगढ़ जाय बर ओकर करा पैसा नीए, वोहर रेंगत जाही, बोलो बजरंगबली की जय कहत कहत रेंगत-रेंगत वोहर जलालगढ़ पहुंचगिस। थकके बेहोस होगिस।
बड़की बोहरियाः- हरगोबिन भाई आगे, हरगोबिन भाई का होगिस तोला?
हरगोबिन:- बड़की बोहोरिया, बड़की बोहोरिया?
बड़की बोहोरिया:- आप जी कइसे हवय, ले एक घूंट गोरस पी ले, मुंहू खोल, हां मुंहू खोल, पी ले , पी ले।
हरगोबिन ला होस आइस, बड़की बोहोरिया गोरस पियात हावय, हरगोबिन बड़की बोहोरिया के पांय धर दारिस।
हरगोबिन:- बड़की बोहोरिया, मोला माफी देबे, मैंहर तुंहर संदेस ला नी कह सकेंव, मैंहर गॉंव छांड़के झन जाबे,तोला दुख नी देवंव, मैंहर तोर बेटवा, तैंहर मोर महतारी, गॉंव भर के महतारी हावस, आप मैंहर निठल्ला नी रहंव, तोर सबोकाम करिहां, बोल महतारी गॉंव छांड़के झन जाबे, बोल ना महतारी।
बड़की बोहोरिया:- संदेस भेजे के पीछू मैंहर पस्चात रहेंव, मैंहर गांव छांड़ के नी जांव।
गरम गोरस के संग चिंवरा ला बड़की बोहोरिया खाय बर लागिस।

सीताराम पटेल
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